पेरेंटिंग: जब एक बच्ची किशोरावस्था में पांव रखती है, तब एक मां को अपनी बेटी को शारीरिक रूप से हो रहे बदलाव के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी होती है। इस दौरान एक मां अपनी बेटी को कुछ इस तरीके से शारीरिक बदलाव के लिए तैयार कर सकती है।
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