कभी सिर्फ़ औरत होने की वजह से कम आंका गया, लेकिन डॉ. रुक्मणी कृष्णमूर्ति ने शक को अपनी ताक़त बनाया और भारत की पहली महिला फॉरेंसिक साइंटिस्ट बनीं।
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