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Women's Health: मेनोपॉज में मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने के लिए ट्राई करें ये योगासन

हैल्थ: मेनोपॉज में मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन होने का सबसे मुख्य कारण हार्मोनल उतार चढाव होते हैं। इससे निदान पाने के लिए आप इन कुछ योगासन को ट्राई कर सकती हैं। जिससे आपको मेनोपॉज में मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।

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Ruma Singh
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Yoga asanas During Menopause

Try These Yoga Asanas To Control Mood Swings In Menopause: मेनोपॉज महिलाओं में होने वाला एक बड़ा बदलाव है, जो कि स्वाभाविक होता है। यह आमतौर पर 45 से 50 उम्र के बीच शुरू होता है, लेकिन कई स्थितियों में महिलाओं को उम्र से पहले भी मेनोपॉज फेज का सामना करना पड़ता है। मेनोपॉज के दौरान कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिस कारण महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तौर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। उन समस्याओं में से एक समस्या मूड स्विंग्स भी होते हैं। जिससे इस दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ापन स्वभाव देखने को मिलता हैं।

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क्यों मेनोपॉज में मूड स्विंग्स होते हैं?

मेनोपॉज में मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन होने का सबसे मुख्य कारण हार्मोनल उतार चढाव होते हैं। खासतौर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जो मूड को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जब महिलाएं मेनोपॉज फेज में पहुंचती हैं, तो हार्मोनल असंतुलन होने शुरू हो जाते हैं इसलिए जब एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी आती है, तब सेरोटोनिन प्रभावित हो जाता है। जो मूड स्विंग्स का वजह बनता है, क्योंकि सेरोटोनिन मूड, नींद और भूख को नियंत्रित करने का काम करता है। वहीं, जब प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में कमी आते हैं, तो महिलाएं अवसाद और चिड़चिड़ापन से ग्रसित हो जाती हैं, क्योंकि यह आमतौर पर मस्तिष्क को शांत करने में प्रभावी साबित होते हैं।

मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने के लिए ट्राई करें ये योगासन 

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यह समस्या मेनोपॉज के दौरान होने वाली एक आम समस्या है। जिससे अधिकतर महिलाएं गुजरती हैं। हालांकि, इस समस्या से निदान पाया जा सकता है। अगर आप शारीरिक गतिविधि के तौर पर सक्रिय रहें। इसके लिए आप इन कुछ योगासन को ट्राई कर सकती हैं। जिससे आपको मेनोपॉज में मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।

  • ताड़ासन के अभ्यास से मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इसे करने से मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है, जो आपके पेल्विक एरिया और पैर को मजबूत बनाता है। साथ ही इसे करने से हार्मोनल बैलेंस बने रहते हैं, जो कि मेनोपॉज में होना बहुत जरूरी होता है इसलिए नियमित रूप से प्रतिदिन दो से चार मिनट तक इस योगासन को करें। 
  • अक्सर महिलाएं मेनोपॉज में डिप्रेशन का सामना करती हैं। जिसे दूर करने के लिए सर्वांगासन एक बेहतर उपाय होता है। यह आपके हार्मोनल परिवर्तन के कारण होने वाले मुड स्विंग्स को भी कम करता है, इसलिए इस आसन को अपने रूटीन में जरूर शामिल करें।
  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने में सुखासन भी मददगार साबित होते हैं। इसके नियमित अभ्यास से तनाव और मूड स्विंग्स को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही इसे करने से मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। 
  • मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में उत्तासन फायदेमंद साबित होते हैं। इस आसन को करने से शरीर में ब्लड का सरकुलेशन सही बना रहता और दिमाग को भी ऑक्सीजन सही मिलता है। जिससे दिमाग को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
  • इस दौरान योग निद्रा करने से आपको मेंटली तौर से शांति का अनुभव हो सकता है, जो स्ट्रेस और एंग्जायटी को कम करने में भी असरदार साबित होते हैं। जिससे मेनोपॉज की समस्या से जूझ रही महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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