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गुस्से में अक्सर हम कितना कुछ बोल जाते हैं, फिर चाहे आगे हमारा सबसे करीबी इंसान ही क्यों ना हो। कहते हैं की गुस्से में निकले शब्द, तीर का काम करते हैं और एक बार जो निकल गए तो वापिस नहीं मुड़ सकते।
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