Relationship Suffering: रिश्तों में छुपा इमोशनल लेबर जिसे अक्सर ढोती हैं महिलाएं

रिश्तों की जिम्मेदारी रिश्ते को निभाने वाले कपल पर बराबर होती हैं। लेकिन, अक्सर महिला को ही चुप रहना और सहना पड़ता हैं। भावनात्मक रूप से लेकर शारीरिक रूप तक महिला खुद को कई बार अधिक झोंकती हैं। लेकिन इसके बाद भी वह अनकहा लेबर ढोती हैं।

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Nainsee Bansal
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Recognizing the Signs of a Toxic Relationship

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रिश्तों की दुनिया में प्यार, सहयोग और अपनापन से जुड़ी होती हैं। लेकिन महिलाएं अक्सर रिश्तों में बहुत दबा हुआ और घुटन महसूस करती हैं। इसका मुख्य कारण छुपा हुआ लेबर हैं जो भावनात्मक से लेकर सामाजिक और मेंटल लेबर तक होता हैं। यह बोझ पुरुष और महिला दोनों पर हो सकता हैं लेकिन अधिकतर मामलों में महिला ही चुपचाप और छुपा ही बोझ उठाती हैं। इसके पीछे सामाजिक बनाबट और महिला के अकेले सहने की आदत भी शामिल होती हैं। महिला दूसरों की खुशियों को अधिक प्राथमिकता देती हैं, जिससे यह गिल्ट और भीतर की पीड़ा अंदर ही अंदर गहरी होती रहती हैं। आइए, जानते हैं रिश्तों में किस किस तरह का बोझ महिलाएं लेकर चलतीं हैं।

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Relationship Suffering: रिश्तों में छुपा इमोशनल लेबर जिसे अक्सर ढोती हैं महिलाएं 

1. भावनात्मक बोझ (Emotional Labour)

रिश्तों को सही ढंग से मैनेज करने से लेकर एक अच्छे माहौल को बनाना भी जिम्मेदारी महिला की समझी जाती हैं। तनाव को पहचानना और रिश्तों में प्यार और शान्ति बनाएं रखना भी इमोशनल लेबर का हिस्सा हैं। अक्सर महिला दोनों की भावनाओं को संभालती हैं और ऐसे में खुद को भूल जाती हैं।

2. मेंटल लोड (Mental Labour)

खरीदारी, सफाई, योजना बनाना और साथ ही सभी सदस्यों का ध्यान रखना भी इसमें शामिल होता हैं। महिला हाउसहोल्ड का मैनेजमेंटअकेले करती हैं। साथ ही दोनों की आम जरूरत से लेकर भावनात्मक जरूरत का भी ध्यान रखना होता हैं। साथ ही सबके बारे सोचना भी यह सब मिलकर महिला पर मेंटल लेबर की तरह हो जाते हैं।

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3. सामाजिक श्रम (Social Labour)

महिला घर में बहुत ऐसे छोटे छोटे काम करती हैं जो रिश्तों से जुड़े होते हैं। जैसे, सांस ससुर का ध्यान रखना, उन्हें त्यौहार पर विश करना यह सब अनकहे रोल हैं जो वो निभाती हैं। परिवार को समाज में बेहतर दिखाना भी कई बार शामिल होता हैं। परिवार में किसी के बीमार या रिश्ते का सही न चलना भी महिला को जिम्मेदारी में डालता हैं। इस कारण वह अकेले सामाजिक श्रम भी ढोती हैं।

4. घरेलू बोझ (Domestic Labour)

घर का पूरा मैनेजमेंट वो चाहे सामान की खरीदारी से लेकर ब्रश का खराब हो जाना यह सब महिला को देखना होता हैं। घर की फाइनेशियल से लेकर इमोशनल और साइकोलॉजिकल वेल बीइंग भी इसमें शामिल हो जाती हैं। हाइजीन जिसका ध्यान महिला को रखना होता हैं। यह सब महिला पर ऐसा बर्डन डालते हैं जिसे वह अकेले ही करती रहती हैं। और फ्रस्ट्रेशन का शिकार होती रहती हैं।

5. रिश्ते को सही चलाने का बोझ (Relationship Management Labour)

डेट नाइट की प्लानिंग से लेकर जन्मदिन को बेहतर बनाना यह सब महिला अकेले ही देखती हैं। कम्युनिकेशन अगर सही नहीं हैं तो उसे intiate करना भी इसमें शामिल होता हैं। महिला कई बार रिश्ते को सही मोड पर लाना भी उनके हिस्से में आता हैं।

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6. खुद को सफर करना (Self-suppression Labour )

अपनी आवाज और जरूरतें को अहमियत न देना , खुद को पीछे रखना यह सब महिला को अकेले घुटन पैदा करता हैं। महिला समाज में चली आ रही व्यवस्था के कारण खुद को प्यार के लायक नहीं समझती हैं।और खुद को प्यार के लायक बनाने के लिए कई कांप्रोमाइज करती हैं। और यह उसे खुद को अनकहा बोझ और घुटन पैदा करता हैं।

7. प्रस्तुत और खुद को बेहतर दिखाने का बोझ (Apperance and Presentation Labour)

महिला खुद को संभारने के साथ साथ कपल कैसा दिख रहा हैं, इस पर भी ध्यान देती हैं। परिवार के बाकी सदस्यों को ढंग से दिखाने और उन्हें समाज में प्रेजेंटेबल बनाने के लिए भी महिला मेहनत करती हैं। यदि बच्चे हैं तो उनको मैनेज करने से लेकर उनकी हाइजीन का ध्यान भी खुद रखती हैं। यह सब महिला को अच्छा दिखने और परिवार को सही से दिखने का दबाव भी डालता हैं।

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8. फ्यूचर का प्लानिंग का बोझ (Future Planning Labour)

महिला परिवार को सही से चलाने और उनके भविष्य को खर्चे देखने का बोझ भी अंदर ही अंदर उठाती हैं। बच्चों के लिए कितना इन्वेस्टमेंट और सेविंग करना हैं यह भी महिला कही न कहीं ध्यान रखती हैं। छुट्टियों में कहा जाना हैं और कैसी जगह रखना हैं यह महिला पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा सोचती हैं और योजना बनाती हैं। यह बोझ जो होता हैं पर दिखता नहीं हैं।

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