Breaking Roles: "महिला तो घर का काम करती हैं, और पति कमाता हैं" कैसे इन Stereotype को तोड़े?

पीढ़ियों से समाज ने यह धारणा बनाई हुई हैं कि महिलाएं घर का काम करती हैं और पुरुष कमाते हैं। यह सोच जेंडर रोल को एक लिमिटेड एरिया में देखती हैं। अक्सर इन्हीं धारणाओं की वजह से प्रतिभा होते हुए भी पुरुष और स्त्री दोनों सामाजिक उत्कंठा में जीते हैं।

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Nainsee Bansal
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पीढ़ियों से समाज ने यह धारणा बनाई हुई हैं कि महिलाएं घर का काम करती हैं और पुरुष कमाते हैं। यह सोच जेंडर रोल को एक लिमिटेड एरिया में देखती हैं। साथ ही यह opportunity को कम करना और इक्विलिटी और शेयरिंग जैसे कांसेप्ट को भी कमजोर कर देती हैं। जब एक महिला और पुरुष बने बनाएं मोल्ड से हट कर काम करते हैं सोशल प्रेशर और एंग्जाइटी को भी कम कर पाते हैं। यह जेंडर स्पेसिफिक रोल न केवल पर्सनल फ्रीडम को लिमिट करते हैं, बल्कि पितृसत्ता की जड़ों को बड़ा कर देते हैं। अक्सर इन्हीं धारणाओं की वजह से प्रतिभा होते हुए भी पुरुष और स्त्री दोनों सामाजिक उत्कंठा में जीते हैं।

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Breaking Roles: "महिला तो घर का काम करती हैं, और पति कमाता हैं" कैसे इन Stereotype को तोड़े?

रूढ़ियों का कारण 

पितृसत्तात्मक परम्पराओं और कल्चरल कंडीशनिंग से महिलाएं और पुरुष के रोल सीमित और पहले से बता दिए जाते हैं। महिला को किचन, घर के काम और बस घरेलू शिक्षा तक सीमित रहने और पुरुष को सिर्फ finance की जिम्मेदारी लेने को विवश कर देते हैं। इसके कारण सेल्फ डिपेंडेंस और मेल सेंट्रिक सोसाइटी का स्ट्रक्चर चलता रहता हैं। साथ ही इसका सबसे कारण रोल मॉडल में महिलाओं की कमी और केयर टेकर में पुरुषों की कमी का होना हैं। मीडियाऔर सामाजिक कथाएं जो आइडल रोल को प्रमोट करती हैं। यह इन stereotype को और अधिक बढ़ा देते हैं।

Sterotype का असर 

इन stereotype से महिलाओं की करियर ग्रोथ और फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस में लिमिटेशन आती हैं। साथ ही पुरुषों की सॉफ्ट साइड भावनात्मक अभिव्यक्ति और केयर गिविंग को discourage किया जाता हैं। परिवारों में बच्चों को समानता का मॉडल नहीं मिलता हैं। समाज मल्टी क्रिएटिविटी और पर्सपेक्टिव से दूर हो जाता हैं। stereotype का असर यह भी होता हैं, कि यह गलत और झूठी मान्यताओं को भी प्रमोट करता रहता हैं। जब इन मान्यताओं का विरोध होता हैं, तो यह अंधाधुंध समाज में अनुकरण करने लगती हैं।

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इन stereotype के निर्धारित रोल को कैसे तोड़ा जाएं

Equal Opportunity शेयर करना 

जब महिला और पुरुष मिलकर घर और ऑफिस की जिम्मेदारी सांझा करेंगे तो आपस में सहयोग से मान्यताओं और धारणाओं को चुनौती मिलती हैं। equal opportunity शेयर करने से आपस में विश्वास भी बढ़ता हैं। साथ ही चुनौती को चुनौती देने का साहस भी आता हैं।

एजूकेशन और इंपावरमेंट 

एजूकेशन एक ऐसा मीडियम हैं जो बच्चों को जड़ से stereotype को चैलेंज देने की क्षमता रखता हैं। बच्चों को सिखाना कि स्किल का होना जेंडर से नहीं निर्धारित होता हैं। न उनका sex यह निर्धारित करता हैं कौनसा काम उनका हैं। आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें सीखना और ढालना आना जरूरी होता हैं।

प्रतिनिधित्व (Role Model)

बच्चों को ऐसी कहानियों को बताना जो चली आ रही धारणा से अलग हो। साथ ही जिनमें महिला का रोल समाज के हिसाब से अलग हो और पुरुष का रोल महिला की तरह हो। यहीं जेंडर रोल का स्विच गेम बच्चों को नए डायमेंशन से रूबरू कराएगा। जब समाज को नए तरीके से देखा जाता हैं तब ही पुरानी मान्यताएं तोड़ी जाती हैं।

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नीतिगत समर्थन 

workplace और policyके जरिए सिस्टेमेटिक चेंज लाया जा सकता हैं। दोनों पेरेंट्स के लिए पेरेंटल लीव और इक्वल ट्रीटमेंट को प्रमोट करना जरूरी हैं। साथ ही जब महिला घर से निकले तो उसे वो फैसिलिटी हों जो एक मैन को मिलती हैं। घर में भी आपस में काम और जिम्मेदारी को बांटे और एक दूसरे को nourish करें।

सांस्कृतिक बदलाव

चुटकुलों, एडवर्टिजमेंट और स्टोरी में gender specific role को चैलेंज देना एक नया पहल हो सकती हैं। लेकिन जब जेंडर को टारगेट करने वाले बात को नेगेटिव लिया जाने लगेगा औरपॉजिटिव रोल को प्रमोट किया जाने लगेगा, तब equal society बनेंगी।

रोल को तोड़ना और उलटफेर करना इसका परपज नहीं हैं, बल्कि बैलेंस को प्रमोट करना हैं। जब महिलाएं और पुरुष घर और बाहर दोनों जगह जिम्मेदारियां साझा करते हैं, तो परिवार मजबूत होते हैं, कार्यस्थल अधिक समावेशी बनते हैं और सोसाइटी true equality की और बढ़ती हैं। Challenge Gender Stereotypes आसान सफर नहीं पर जरूर करना होगा। 

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फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस finance Challenge Gender Stereotypes